आपको भी ये जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाला खिलाड़ी, रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ी से ज्यादा खुश होते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे क्या कारण है…।
कल्पना कीजिए कि आप अगले साल ओलंपिक के लिए अपने पसंदीदा एथलीट के साथ की अदला-बदली कर सकते हैं। आप कौन सा पदक जीतने का सपना देखेंगे?
आपकी पसंद का स्पष्ट क्रम सोना, चांदी और फिर कांस्य होगा, यदि आप कांस्य जीतते हैं तो आप निश्चित रूप से खुश होंगे, लेकिन यदि आप रजत जीतते हैं तो आप अधिक खुश होना चाहिए, और यदि आपने स्वर्ण पदक जीता है तो आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा, है ना?
हालाँकि, आपने अक्सर देखा होगा कि रजत जीतने वाले एथलीट कांस्य जीतने वालों की तुलना में कम खुश दिखते हैं। यह एक सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन शोध इसे साबित करती है।
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— Vishal Bansal (@mevishalbansal) August 7, 2022
रजत पदक विजेता अक्सर उदास दिखते हैं, जबकि कांस्य विजेता हमेशा खुशी से मुस्कुराते हैं। ऐसे ही 2012 में लंदन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में रजत जीतने पर मैकायला मैरोनी का ‘मुंह लटकाया हुआ रूप’ इंटरनेट पर वायरल हो गया था, और यहां तक कि एक मीम भी बन गया था! आपको क्या लगता है कि वह क्यों उदास थी?
रजत पदक की रैंक तो कांस्य पदक की तुलना में अधिक ऊपर माना जाता है,तो कांस्य पदक जीतने वाले एथलीट अपेक्षाकृत जो चाँदी लेकर घर जाते उनसे ज्यादा खुश क्यों दिखते हैं?
इस प्रश्न का उत्तर देते समय विचार करने के लिए एक मान्य बिंदु यह है कि रजत पदक विजेता ने स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी से एक मैच हारकर दूसरा स्थान हासिल किया है, जबकि कांस्य पदक विजेता ने चौथे स्थान पर समाप्त होने वाले व्यक्ति के खिलाफ मैच जीतकर तीसरा स्थान हासिल किया है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
कई रिपोर्ट्स में अलग अलग साइकोलॉजिस्ट के आधार पर इस बात को माना गया है कि कांस्य पद जीतने वाला खिलाड़ी ज्यादा खुश होता है।
साइंटिफिक अमेरिकन नाम की वेबसाइट के अनुसार, Cornell University के साइकोलॉजिस्ट Victoria Medvec और Thomas Gilovich, University of Toledo के Scott Madey का मानना है कि इसे काउंटरफैक्चुएल थिंकिंग (तत्काल प्रतिक्रियावादी) के आधार पर समझा जा सकता है. इसके हिसाब से ही पता चलता है कि आखिर कांस्य पदक विजेता ज्यादा क्यों खुश होता है।
इसलिए नाखुश होता है रजत पदक विनर:
दरअसल, जब भी कोई स्वर्ण पदक के लिए मैच होता है तो हारने वाले शख्स को रजत पदक मिलता है. काउंटरफैक्चुएल थिंकिंग के आधार पर, इसमें रजत पदक जीतने वाला शख्स चाहता है कि उसे भी स्वर्ण पदक मिले, वो उसके लिए और मेहनत करें और वो पहले स्थान पर पहुंचना चाहता है।
हालांकि, जब वो जीत नहीं पाता है तो काफी परेशान रहता है और उसे रजत से ही संतोष करना पड़ता है, लेकिन कुछ देर पहले तक उसका सपना गोल्ड मेडल का होता है.
इसके अलावा उसे मेडल मिलने से कुछ देर पहले ही उसे हार मिलती है, जिससे वो निराश रहता है और एक तरह से उसका सपना टूटता है, इसलिए वो परेशान रहता है.
कांस्य पदक की खुशी के पीछे ये है कारण
वहीं, जो कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी होता है, वो मैच खेलने से पहले ये ही सोचता है कि उसे सिर्फ मेडल जीतना है. उसके दिमाग में सिर्फ मेडल जीतना ही होता है और मैच जीतते ही उसे कांस्य पदक मिल जाता है. उन्हे खुशी रहती है की कम से कम उन्हे पोडियम पर खड़ा होने का मौका तो मिल गया।
इस स्थिति में उसका लक्ष्य पूरा हो जाता है और वो काफी खुश होता है. वहीं, रजत पदक की स्थिति में रजत पदक जीतने वाले शख्स का लक्ष्य पूरा नहीं होता है और उसे हार का सामना करना पड़ता है. इस वजह से माना जाता है कि रजत पदक जीतने वाले शख्स से ज्यादा खुश कांस्य पदक जीतने वाला शख्स होता है.
यह खिलाड़ियों की तत्काल प्रतिक्रियावादी भावनाओं को तय करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।