केप टाउन :अभी कोविड के सबसे कठिन दौर से गुजरने वाले देशों में दक्षिण अफ्रीका पहले नम्बर पर है जिसकी टीम ने तीसरे टेस्ट में सात विकेट से जीत के साथ स्टार खिलाड़ियों से भरी भारतीय टीम को शुक्रवार को 2-1 से हरा दिया।
भारत द्वारा निर्धारित 212 रनों का लक्ष्य कठिन नहीं था और मेजबान ने टीम दिन की शुरुआत दो विकेट पर 101 रन से आगे खेलना शुरू किया जिसमे कीगन पीटरसन (82, 113 गेंद) ने रस्सी वैन डेर डूसन (नाबाद 41) के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 54 रन जोड़े। मैच से पहले टेम्बा बावुमा (नाबाद 32) ने मैच को फिनिश देने में मदद किया।
सुनील गावस्कर ने इसे “भारत के लिए बुरा सपना” के रूप में करार दिया क्योंकि वे पिछले दो टेस्ट में भारत टक्कर देने के भी करीब नहीं था।
यह मेजबानों के लिए विशेष रूप से बड़ी जीत है, जिन्होंने श्रृंखला से पहले चोटिल होने के कारण अपने प्रीमियर पेसर एनरिक नॉर्टजे को खो दिया था और फिर क्विंटन डी कॉक ने अचानक मध्य-श्रृंखला से सन्यास ले लिया था।
इस बीच, भारतीय टीम ने एल्गर की विवादास्पद डीआरएस रिव्यू के बाद अपना आपा खो दिया, जो गुरुवार को थर्ड अंपायर द्वारा नॉट आउट करार दे दिया गया था। और पीटरसन को आउट करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय ब्रॉडकास्टर सुपरस्पोर्ट पर कटाक्ष करने के लिए स्टंप माइक्रोफोन का अधिक उपयोग करने पर भारतीय टीम का ध्यान केंद्रित था।
भारत के कप्तान विराट कोहली ने मैच के बाद माना की, “यह हर किसी के लिए टेस्ट का एक शानदार तमाशा था;एक कड़ी लड़ाई वाली श्रृंखला। हमारे लिए पहला गेम शानदार था लेकिन प्रोटियाज ने आश्चर्यजनक रूप से अच्छा प्रदर्शन करके वापसी की।आखिरी दोनों टेस्ट में उन्होंने जीत हासिल की, वे गेंद के साथ क्लिनिकल थे।”
इस श्रृंखला की हार के साथ, भारत का तीन दशकों तक अफ्रीकी धरती पर कभी भी टेस्ट सीरीज़ नहीं जीतने का रिकॉर्ड कायम रहा।
South Africa win! 🔥
Bavuma and van der Dussen take them over the line!
A terrific victory for a young team – what a performance! 🙌
Watch #SAvIND live on https://t.co/CPDKNxpgZ3 (in select regions)#WTC23 | https://t.co/Wbb1FE2mW1 pic.twitter.com/uirBesoYdp
— ICC (@ICC) January 14, 2022
महेंद्र सिंह धोनी भारत के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने 2010 में ड्रॉ सीरीज में कामयाबी हासिल की थी।
यह सीरीज इतिहास की कागज पर सबसे कमजोर दक्षिण अफ्रीकी टीमों में से एक के खिलाफ कागज पर सबसे मजबूत भारतीय टीमों में से एक थी।
जीत के बाद अतिउत्साहित एल्गर ने कहा, “जिस तरह से हमारी गेंदबाजी यूनिट ने पूरी श्रृंखला में प्रदर्शन किया वो अद्भुत है। मैंने पहले गेम के बाद चुनौती को पेश किया और लडको ने शानदार प्रतिक्रिया दी।”
भारतीय खिलाड़ियों के नासमझ बकबक और लगातार स्लेजिंग ने पीटरसन और वैन डेर डूसन को परेशान नहीं किया क्योंकि वे पूरी तरह से पेशेवर तरीके से अपना काम कर रहे थे।
भारत के बल्लेबाज पिछले कुछ वर्षों से गेंदबाजों पर निर्भर है, लेकिन इस श्रृंखला ने दिखाया कि आखिर वो भी इंसान ही है, गेंदबाजी इकाई ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया,पर यह काफी नही था।
South Africa’s brilliant series win has placed them nicely in the latest #WTC23 standings 📈 pic.twitter.com/SJkLtZVpUS
— ICC (@ICC) January 14, 2022
भारत के लिए एकमात्र उम्मीद जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी से थोड़ी सी नई गेंद के साथ उमस भरी परिस्थितियों में पहला स्पैल थी और उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम किया। पीटरसन को बार-बार गेंद से चकमा दिया गया लेकिन, पर इसी बीच वो, स्कोरबोर्ड चालू रखने के लिए अपने रन बनाते रहे थे।
उनकी रणनीति पहले स्पैल को देखने और उसे किसी तरह पार पाने की थी जब तक उमेश यादव, जिन्हें बाउंड्री देने के लिए जाना जाता है, को आक्रमण में लाया ना जाए।
बुमराह ने अपने दूसरे स्पैल में एक शानदार गेंद किया, लेकिन सीरीज में बल्ले से खराब प्रदर्शन चेतेश्वर पुजारा ने स्लीप में आसान कैच छोड़ दिया।
अगर आपको याद हो, तो वह रॉस टेलर थे, जिन्हें विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के दौरान पुजारा ने एक आसान कैच छोड़ा था, और फिर से गेंदबाज बुमराह ही थे।
गपशप में व्यस्त
देखिए अगर ईमानदारी से कहा जाए तो। भारत एक डीआरएस के गलत होने के कारण टेस्ट नहीं हारा,बल्कि पूरी श्रृंखला में लगातार खराब बल्लेबाजी के वजह से हारा अगर पहले टेस्ट की पहली पारी को छोड़ दिया जाए।
202, 223 और 198 जैसे मामूली स्कोर के कारण भारत हार गया और वांडरर्स और न्यूलैंड्स दोनों में दूसरी पारी के प्रयास ने दिखाया कि भारतीय गेंदबाज केवल उतना ही कर सकते हैं जीतने उनके वश में है।
चौथी सुबह वैन डेर डूसन और पीटरसन को फील्डर द्वारा स्लेजिंग का शिकार होना पड़ा लेकिन उनको कोई फर्क नही पड़ा।
एक बार जब बावुमा ने चौके मारना शुरू किया, तो उनके बल्ले से निकले स्ट्रोक ने उनका जवाब दिया।
कप्तानी और बदलाव
जो भी हो, कोहली के बीसीसीआई अधिकारियों के साथ इस समय व्यक्तिगत संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं, और इस घटना के नुकसानदायक परिणाम हो सकते है।
पर अगर सच कहे तो, कोहली ने दो टेस्ट मैचों में बुरी तरह से नेतृत्व नहीं किया, लेकिन अगर वह श्रृंखला नहीं जीत रहे है तो बस अच्छा होना पर्याप्त नहीं है। वह एकमात्र कप्तान हैं जो अब दक्षिण अफ्रीका में दो टेस्ट सीरीज हार चुके हैं।
लेकिन ध्यान देने को बात है की भारत किस तरह से दो पूरी तरह से अलग मध्यक्रम के खिलाड़ियों के साथ बना हुआ है।
चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे अब टीम के लिए कोई वैल्यू नहीं ला रहे हैं और आने वाले समय में उनके अपने स्थान को बरकरार रखने की संभावना लगभग खत्म है।