दिल्ली कैपिटल्स के सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ 30 गेंदों में अर्धशतक जमाते हुए अपने ही अंदाज में में फॉर्म वापसी की घोषणा की।
शीर्ष क्रम पर उनकी तेजतर्रार पारी ने डीसी को 7 ओवरों में 57/0 के स्कोर बनाया जिसमे उनके साथी डेविड वार्नर ने सिर्फ चार रन बनाए थे।
शॉ 34 गेंदों में 61 रन पर आउट हो गए और संकेत दिया कि वह एक बार फिर अपने दबदबे की ओर बढ़ रहे हैं; जिस तरह की फॉर्म हमने उन्हें पिछले सीजन के आईपीएल में देखी थी।
जबकि पिछले साल, शॉ एक रिकॉर्ड तोड़ विजय हजारे ट्रॉफी से होकर आए थे, वह इस साल एक साधारण घरेलू सत्र के साथ आईपीएल में आए है।
शॉ ने भारत के लिए 5 टेस्ट, 6 एकदिवसीय और 1 टी20 मैच खेले हैं; जहां वह टेस्ट में स्पॉट पाने से बहुत दूर है,वही प्रशंसक सफेद गेंद वाले प्रारूप से उनकी गैरमौजूदगी से हैरान हैं।
यहां 3 कारण बताए गए हैं कि भारत के कप्तान रोहित शर्मा को पृथ्वी शॉ को अधिक समर्थन क्यों देना चाहिए:
1: प्रतिभा
इस बात से कोई इंकार नहीं है कि शॉ, जिन्होंने भारत को अंडर -19 विश्व कप जीत दिलाई थी, देश के सबसे प्रतिभाशाली बल्लेबाजों में से एक हैं।
2018 में अपने टेस्ट डेब्यू पर शतक जड़ने वाले इस युवा को कोहली-शास्त्री ने ऑस्ट्रेलिया की पिछली टूर पर सिर्फ एक टेस्ट में फेल होने के बाद बुरी तरह स्क्वाड से बाहर कर दिया था।
रोहित के नेतृत्व में हालांकि, प्रशंसक शॉ के लिए एक अच्छे मौके के लिए यदि सबसे लंबा प्रारूप में नहीं तो कम से कम सीमित ओवरों के क्रिकेट में ही सही मिलने का उम्मीद कर रहे है।
हालंकि 22 वर्षीय शॉ के पास लंबा करियर बनाने के लिए अभी भी उम्र और समय है,पर भारत को उनकी गंभीर प्रतिभा का अधिक से अधिक और जल्द से जल्द उपयोग करना चाहिए।
कम समय में प्रभाव डालने की क्षमता:
पृथ्वी शॉ की शैली पहली गेंद से ही गेंदबाजी आक्रमणों की धुनाई करना है,यह एक ऐसा दृष्टिकोण, या एक मानसिकता है जो कई मौजूदा भारतीय सलामी बल्लेबाजों के पास नहीं है शॉ का टेस्ट में 86, वनडे में 113 और आईपीएल में 147 का स्ट्राइक रेट है।
शीर्ष क्रम में, यदि वह थोड़े समय के लिए भी मैदान पर रहते है, तो वह खेल पर प्रभाव डालने में सक्षम होते है, और जितनी देर वह बीच में रहते है,उतना ही अंतिम परिणाम उनकी टीम की ओर झुकता है।
भविष्य के स्टार बनने का हुनर:
रोहित शर्मा 34 वर्ष के हैं, शिखर धवन 36 और विराट कोहली 33 वर्ष के।
स्पष्ट रूप से, 2023 विश्व कप के बाद एकदिवसीय टीम में बड़ा परिवर्तन होने वाला है, जबकि T20I पक्ष में नियमित परिवर्तन होते रहते हैं।
रोहित अगले साल कप्तान के रूप में बने रहें या नहीं, 22 वर्षीय शॉ के आने वाले वर्षों में आधुनिक युग के दिग्गज बनने की पूरी उम्मीद है।
हालांकि, उनकी तेजतर्रार, आक्रामक बल्लेबाजी शैली के साथ शुरुआती विफलताएं होना तय है।
इसके लिए कप्तान को किसी से भी ज्यादा समर्थन और विश्वास की जरूरत है जैसा सहवाग के लिए दिखाया गया था।
शॉ न केवल एक बल्लेबाज के रूप में, बल्कि वह आगे चलकर भारत के संभावित कप्तान भी हो सकते हैं।