वीरेंद्र सहवाग न केवल भारतीय बल्कि पूरे विश्व क्रिकेट के सबसे विनाशकारी सलामी बल्लेबाजों में से एक हैं। दिल्ली के इस शख्स ने मैदान पर अपने प्रदर्शन से कई क्रिकेटर प्रेमियों का मनोरंजन किया है।
एक कमेंटेटर और एक ट्विटर यूजर के रूप में, वह अभी भी हमारा मनोरंजन करते रहते है।
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हाल ही में, उन्होंने अपने करियर के अंतिम सालो में बिना नंबर की जर्सी पहनने के पीछे के मज़ेदार कारण का खुलासा किया।
भारत के ताबड़तोड़ ओपनर
वीरेंद्र सहवाग ने भारत में बल्लेबाजी की कला में नया क्रांति ला दिया था। अन्य सलामी बल्लेबाजों से हटकर, सहवाग अपने बैटिंग में आक्रामक थे और इसलिए, गेंदबाजों को कभी भी जमने का मौका नहीं देते थे।
सभी प्रारूपों में, उन्होंने समान मानसिकता बनाए रखी और वन डे, टेस्ट टी 20 में वो कोई फर्क नही समझते और हमेशा बड़े शॉट से ही गेंदबाजों का स्वागत करते थे। इससे उन्हें कई रिकॉर्ड तोड़ने में मदद मिली।
उन्होंने भारत के लिए 104 टेस्ट, 251 एकदिवसीय और 19 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 2007 (टी20) और 2011 (50 ओवर) में विश्व कप जीतने वाली टीमों का हिस्सा रहे।
वीरू के कुछ प्रमुख रिकॉर्ड है,जैसे एकदिवसीय मैचों में दोहरा शतक बनाना और टेस्ट में तिहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय होना।
आईपीएल में भी, दिल्ली और पंजाब जैसी टीमों का प्रतिनिधित्व करते हुए, सलामी बल्लेबाज ने कई यादगार प्रदर्शन किए।
वीरेंद्र सहवाग के बिना नंबर के जर्सी पहनने के पीछे का मजेदार कारण
“वीरू की बैठक” नामक एक विशेष सीरीज में, एक प्रशंसक ने सलामी बल्लेबाज से इसका कारण पूछा कि उन्होंने कई मौकों पर एकदिवसीय क्रिकेट में बिना नंबर की जर्सी क्यों पहनी।
इसे समझाते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने शुरुआत में 44 नंबर की जर्सी पहनना शुरू किया था, जिसे उनकी मां और उनकी पत्नी दोनों ही अशुभ मानते थे।
फिर, उनकी माँ ने सुझाव दिया कि वह नंबर 66 पहनें, जबकि पत्नी ने 2 नंबर पहनने के लिए कहा। उनके बीच किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए सहवाग ने अपनी वनडे जर्सी के पीछे का नंबर पूरी तरह से ही छोड़ दिया।
ठीक इसी तरह वीरू अक्सर मजेदार किस्से सुनाकर अपने फैंस के दिलो में छाए रहते है।